सारे जहां से अच्छा
73 साल पहले 15 अगस्त के दिन हमारे देश को आजादी मिली। इस दिन कोई नया राष्ट्र अस्तित्व में नहीं आया था। बल्कि अपने भीतर हजारों सालों का इतिहास समेटे धरती की सबसे पुरानी सभ्यता ने एक नया चोला धारण किया था। तीन रंगों का वसन पहनकर भारत ने विश्व के अन्य देशों के साथ एक नए युग में प्रवेश किया था। तीन रंगों का यह वसन तिरंगा हमारी पहचान है।
हमारा रंग रूप, भाषा, धर्म व जाति कुछ भी हो परंतु भारतवासी के रूप में पहचान हम सब की साझा है। इस पहचान को हमसे कोई भी अलग नहीं कर सकता है।
हमें हमारे राष्ट्र पर गर्व है। इस राष्ट्र का नागरिक होने के नाते हमें इस पर गर्व करना भी चाहिए। शायद ही विश्व में कोई ऐसा राष्ट्र होगा जहांँ इतनी विविधता होते हुए भी एकता समाहित हो। इस विशाल देश में विभिन्न धर्म और जातियों, बोली और भाषाओं के लोग कई सदियों से मिलकर रह रहे हैं। यह अपने आप में एक अनूठी बात है। हमारा राष्ट्र एक ऐसी बगिया है जिसमें भांति भांति के फूल खिले हैं।
पर एक सत्य यह भी है कि एक राष्ट्र के रूप में हमारे अंदर बहुत सारी कमियां हैं। अशिक्षा, गरीबी, लिंगभेद, जातिभेद जैसी कई बुराइयां हमारे देश में हैं। भ्रष्टाचार की दीमक ने इस राष्ट्र के तंत्र को खोखला कर कमजोर बना दिया है। समाज में संसाधनों का सही वितरण नहीं है।
एक तरफ सुविधासंपन्न लोग हैं। ये लोग एक आरामदायक जीवन व्यतीत करते हैं। दूसरी तरफ ऐसे लोग हैं जिन्हें मूलभूत सुविधाएं भी प्राप्त नहीं हैं। ये सारी कमियां हमें विकास के पथ पर सही प्रकार से आगे नहीं बढ़ने देती हैं।
हमारे राष्ट्र में जो भी कमियां हैं उन्हें हमें ही दूर करना है। राष्ट्र एक व्यक्तिगत इकाई नहीं है।
राष्ट्र एक समूह का नाम है। राष्ट्र उसमें रहने वाले नागरिकों से बनता है। नागरिकों की सोच ही राष्ट्र की सोच होती है। हमारे सामूहिक प्रयास ही राष्ट्र का प्रयास हैं। इसी तरह एक राष्ट्र की कमियां उसके नागरिकों की कमियां ही होती हैं।
राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी हम सब की है। हमारी सरकार हमारा तंत्र सही काम करे इसके लिए हमें ही प्रयास करने होंगे। जाति धर्म भाषा के आधार पर भेद रखने की जगह हमें एक राष्ट्र के रूप में सोचना पड़ेगा।
सब नकारात्मक है ऐसा नहीं है। अंधेरे के बीच से कई उम्मीद की किरणें निकलती हैं। इसी समाज में बहुत से ऐसे लोग हैं जो बिना किसी स्वार्थ और भेदभाव के समाज के निर्माण में लगे हुए हैं।
इस समय जब देश कोरोना की महामारी से त्रस्त है तब बहुत से लोग हैं जो लोगों की अथक सेवा कर रहे हैं।
इस राष्ट्र ने ना जाने कितने झंझावात झेले हैं। उन सबके बीच यह राष्ट्र अडिग खड़ा रहा। इसका कारण है यहाँ के आम लोगों की सहने की क्षमता। कठिन परिस्थितियों में भी यहाँ के लोग जीने की राह निकाल ही लेते हैं।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा